Friday, August 24, 2012

हँसते ज़ख्म

बड़े दिनों बाद एक गाना याद आया, यु ही बैठे बैठे
गौर कीजियेगा ...

वेसे इसे गाने सुनने नहीं चाहिए , पर्सनली  लगता है, हम जेसे गाने सुनते है, धीरे धीरे खुद भी वेसे ही हो जाते है। जेसे कोई बहुत ग़ज़ल सुनेगा तो बहुत संजीदा हो जायेगा।
और कोई पोप या चलताऊ गाने सुनेगा तो मस्त मौला टाइप से रहेगा,
खेर  मुद्दे पे आते है है , तो जनाब ये गाना याद आया यु ही बैठे बैठे

आज सोचा तो आंसू भर आये ,
मुद्दते हो गयी मुस्कुराये ...

हर कदम पे उधर मुडके तो देखा,
उनकी महफ़िल से हम उठ तो आये ...

रह गयी जिन्दगी दर्द बनकर,
दर्द दिल में छुपाये छुपाये ....

दिल की नाजुक रगे टूटते है ,
याद इतना भी कोई न आये ...


इसी मूवी का एक और गाना है,ऊपर वाला चाहे न सुना हो पर ये गाना जरुर  सुना होगा।




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